एक आलसी आदमी

एक बार की बात है एक बहुत आलसी आदमी था, शारारिक रूप से स्वस्थ्य होने के बाद भी वो भिखारी की ज़िन्दगी गुजारता था। खाने पीने के लिए हमेशा दूसरों पर निर्भर रहता था। एक दिन जब वह खाने के लिए कुछ खोज रहा था, तो उसने फल लगे पेड़ों को देखा।

चारों ओर देखने के बाद कि कहीं कोई देख तो नहीं रहा, वो उस बगीचे के अंदर चला गया और देखा कि कोई भी उन पेड़ों की रखवाली नहीं कर रहा है तो उसने जल्दी से कुछ फल चुराने का फैसला किया।

लेकिन जैसे ही उसने पेड़ पर चढ़ना शुरू किया, किसान ने उसे देख लिया और उसे पकड़ने के लिए दौड़ कर आने लगा। जब आलसी आदमी ने डंडा लेकर उस किसान को अपने पास आते देखा, वह डर गया और छिपने के लिए पास के एक जंगल को ओर भाग गया।

जंगल में जैसे ही वो थोड़ा सा आगे बढ़ा उसने एक लोमड़ी को देखा जिसके केवल दो पैर थे और वो रेंग रही थी। आलसी आदमी ने सोचा, ऐसी हालत में यह लोमड़ी कैसे जिंदा रह सकती है ? लोमड़ी भाग नहीं सकती है, वह कैसे खुद के लिए खाना ढूंढने या अन्य जानवरों से अपनी रक्षा कर सकती है और कैसे जीवित रह सकती है।

तभी अचानक उसने देखा कि एक शेर अपने मुंह में एक मांस का टुकड़ा लिए लोमड़ी की ओर आ रहा है। सभी जानवर भाग गए और आलसी आदमी खुद को बचाने के लिए पेड़ पर चढ़ गया।

लेकिन, लोमड़ी वहीं रुकी रही, उसके पास दो पैरों पर चलने की क्षमता नहीं थी। लेकिन इसके बाद जो हुआ उसने आलसी आदमी को हैरान कर दिया। शेर लोमड़ी के पास आया और मांस का वो टुकड़ा उसने वहां छोड़ा, जो उसके मुंह में लोमड़ी के लिए था।

यह देखकर आलसी आदमी खुश हो गया। वो सोचने लगा कि भगवान जिन्होंने सभी को बनाया है, हमेशा उनके द्वारा बनाई गई चीजों की देखभाल के लिए एक योजना निर्धारित कर देते हैं। वो सोचने लगा कि भगवान ने उसके लिए भी कुछ योजना बनाई होगी।

जंगल से बाहर निकलकर वो एक जगह बैठ गया और इंतज़ार करने लगा की उसे कोई खाना खिलाने आएगा। उसका विश्वास था की उसके लिए भी ईश्वर किसी को भेजेगा जो खाना लाएगा।

लेकिन जैसे-जैसे समय बीतने लगा, वह सड़क पर देखता रहा, अपने भोजन की प्रतीक्षा करता रहा। वो दो दिन तक भोजन के लिए इंतजार करता रहा ! अंत में, वह अपनी भूख को सहन नहीं कर सका और भोजन की तलाश में चल दिया।

रास्ते में उसे एक साधु महात्मा मिले। उसने साधु को पूरी घटना बताई । साधु ने उसे कुछ भोजन और पानी दिया। भोजन करने के बाद आलसी आदमी ने साधु से पूछा, “महाराज, भगवान ने उस अपंग लोमड़ी पर अपनी दया दिखाई थी, लेकिन भगवान मेरे लिए इतना क्रूर क्यों हैं। भगवान ने मेरी मदद के लिए किसी को क्यों नहीं भेजा।”

उसकी बात सुनकर साधु ने मुस्कुराते हुए कहा, “यह सच है कि भगवान के पास सभी के लिए एक योजना है। आप स्पष्ट रूप से सबकुछ भगवान की योजना का एक हिस्सा हैं। लेकिन बेटा, तुमने उनकी बात को गलत तरीके से लिया। वह नहीं चाहते थे कि तुम लोमड़ी की तरह रहो। वह चाहता थे की तुम शेर की तरह बनो !”

कहानी से सीख:
अक्सर हम ईश्वर के संकेतों को गलत समझते हैं। ईश्वर ने सभी को अपना जीवन निर्वाह करने की ताकत और क्षमता दी है। हमेशा चीजों को सकारात्मक तरीके से देखना सीखो और खुद को हमेशा मजबूत स्थिति में देखो जिससे, हम जरूरतमंद लोगों की मदद कर सकें। हमेशा उस रास्ते को मत देखो जो आसान है बल्कि उसका चुनाव करो जो सही है।

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